Archive for March 10, 2007
प्रतिरोध
रेयाज़-उल-हक
अगर तुम गूंगे बना दिये जाओ
और कुछ न बोल सको
अगर तुमसे छीन ली जाये रोशनी
और सरका दिया जाये तुम्हारे सामने से
प्यारा बसंत
चुहचुहाती गरमी
गुलाबी सरदी
अगर तुम थका दिये जाओ
और सांस लेना भी
भारी पड़ने लगे
यह बहुत है
कि तुम्हारे हाथ में बची तुम्हारी उंगली
आरोप की तरह उठे
उठे अभियोगी उंगली की तरह.
Recent Comments