Posts filed under ‘ताकि सनद रहे’
एक मुलाकात लतिका रेणु से
एक ठुमरीधर्मा जीवन का अंतर्मार्ग
रेयाज-उल-हक
राजेंद्रनगर के ब्लॉक नंबर दो में पटना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट का एक पुराना मकान. दूसरी मंजिल पर हरे रंग का एक दरवाजा. जंग लगा एक पुराना नेम प्लेट लगा है- फणीश्वरनाथ रेणु .
एक झुर्रीदार चेहरेवाली औसत कद की एक बूढ़ी महिला दरवाजा खोलती हैं-लतिका रेणु. रेणु जी की पत्नी. मेरे साथ गये बांग्ला कवि विश्वजीत सेन को देख कर कुछ याद करने की कोशिश करती हैं. वे हमें अंदर ले जाती हैं.
कमरे में विधानचंद्र राय, नेहरू और रेणु जी की तसवीर. 1994 का एक पुराना कैलेंडर. किताबों और नटराज की प्रतिमा पर धूल जमी है. बाहर फोटो टंगे हैं-रेणु और उनके मित्रों के. घर में लगता है, रेणु का समय अब भी बचा हुआ है. एक ओर कटी सब्जी का कटोरा रखा हुआ है-शायद वे सब्जी काट रही थीं. बातें शुरू होती हैं. वे रेणु जी पर प्राय: बात नहीं करना चाहतीं. अगर मेरे साथ विश्वजीत दा नहीं होते तो उनसे बात कर पाना मुश्किल था. पुराना परिचय है उनका. काफी कुछ दिया है इस महिला ने रेणु को. प्रकारांतर से हिंदी साहित्य को. हजारीबाग के सेंट कोलंबस कॉलेज के एक प्रोफेसर की बेटी लतिका जी इंटर करने के बाद पटना आयी थीं-नर्सिंग की ट्रेनिंग के लिए. फिर पटना की ही होकर रह गयीं. पटना मेडिकल कॉलेज में ही भेंट हुई फणीश्वरनाथ रेणु से. उनके फेफड़ों में तकलीफ थी. नेपाल में राणाशाही के खिलाफ संघर्ष में शामिल थे रेणु. एक बार वे गिर गये और पुलिस ने उनकी पीठ को अपने बूटों से रौंद डाला था. तब से खराब हो गये फेफ ड़े. खून की उल्टी तभी से शुरू हुई.
लतिका जी उन दिनों को याद करते हुए कभी उदास होती हैं, कभी हंसती हैं, वैसी हंसी जैसी जुलूस की पवित्रा हंसती है. ट्रेनिंग खत्म होने के बाद पटना में ही गर्दनीबाग में चाइल्ड वेल्फेयर सेंटर में नियुक्ति हुई. छह माह बाद सब्जीबाग के सिफ्टन चाइल्ड वेल्फेयर सेंटर में आ गयीं. तब तक रेणु जी से उनकी शादी हो चुकी थी. रेणु जी ने उन्हें बताया नहीं कि उनकी एक पत्नी औराही हिंगना में भी हैं. शादी के काफी समय बाद जब वे पूर्णिया उनके घर गयीं तो पता चला. इस पर वे नाराज भी हुईं, पर मान गयीं.
इस रचना को देशबंधु पर भी पढें.
लतिका जी शादी से जुड़े इन प्रसंगों को याद नहीं करना चाहतीं. काफी कटु अनुभव हैं उनके. रेणु जी के पुत्र ने उनकी किताबों का उत्तराधिकार उनसे छीन लिया. वह यह फ्लैट भी ले लेना चाहता था, जिसमें अभी वे हैं और जिसे उन्होंने अपने पैसे से खरीदा था. रेणु जी ने इस फ्लैट के आधार पर 20000 रुपये कर्ज लिये थे बैंक से. बैंक ने कहा कि जो पैसे चुका देगा फ्लैट उसका. लतिका जी ने कैसे-कैसे वे पैसे चुकाये और फ्लैट हासिल किया.
वे भुला दी गयी हैं. अब उन किताबों पर उनका कोई अधिकार नहीं रहा, जिनकी रचना से लेकर प्रकाशन तक में उनका इतना योगदान रहा. मैला आंचल के पहले प्रकाशक ने प्रकाशन से हाथ खींच लिया, कहा कि पहले पूरा पैसा जमा करो. लतिका जी ने दो हजार दिये तब किताब छपी. नेपाल के बीपी कोइराला को किताब की पहली प्रति भेंट की गयी. उसका विमोचन सिफ्टन सेंटर में ही सुशीला कोइराला ने किया.
इसके बाद, जब उसे राजकमल प्रकाशन ने छापा तो उस पर देश भर में चर्चा होने लगी. लतिका जी बताती हैं कि रेणु दिन में कभी नहीं लिखते, घूमते रहते और गपशप करते. हमेशा रात में लिखते, मुसहरी लगा कर. इसी में उनका हेल्थ खराब हुआ. लिख लेते तो कहते-सारा काम छोड़ कर सुनो. बीच में टोकाटाकी मंजूर नहीं थी उन्हें. कितना भी काम हो वे नहीं मानते. अगर कह दिया कि अभी काम है तो गुस्सा जाते, कहते हम नहीं बोलेंगे जाओ. फिर उस दिन खाना भी नहीं खाते. जब तीसरी कसम फिल्म बन रही थी तो रेणु मुंबई गये. उनकी बीमारी का टेलीग्राम पाकर वे अकेली मुंबई गयीं. मगर रेणु ठीक थे. वहां उन्होंने फिल्म का प्रेस शो देखा. तीसरी कसम पूरी हुई. लतिका जी ने पटना के वीणा सिनेमा में रेणु जी के साथ फ़िल्म देखी. उसके बाद कभी नहीं देखी तीसरी कसम.
रेणु के निधन के बाद उनके परिवारवालों से नाता लगभग टूट ही गया. उनकी एक बेटी कभी आ जाती है मिलने. गांववाली पत्नी भी पटना आती हैं तो आ जाती हैं मिलने, पर लगाव कभी नहीं हुआ. नर्सिंग का काम छोड़ने के बाद कई स्कूलों में पढ़ाती रही हैं. अब घर पर खाली हैं. आय का कोई जरिया नहीं है. बिहार राष्ट्रभाषा परिषद 700 रुपये प्रतिमाह देता है, पर वह भी साल भर-छह महीने में कभी एक बार. पूछने पर कि इतने कम में कैसे काम चलता है, वे हंसने लगती हैं-चल ही जाता है.
अब वे कहीं आती-जाती नहीं हैं. किताबें पढ़ती रहती हैं, रेणु की भी. सबसे अधिक मैला आंचल पसंद है और उसका पात्र डॉ प्रशांत. अनेक देशी-विदेशी भाषाओं में अनुदित रेणु की किताबें हैं लतिका जी के पास. खाली समय में बैठ कर उनको सहेजती हैं, जिल्दें लगाती हैं. लतिका जी ने अपने जीवन के बेहतरीन साल रेणु को दिये. अब 80 पार की अपनी उम्र में वे न सिर्फ़ अकेली हैं, बल्कि लगभग शक्तिहीन भी. उनकी सुधि लेनेवाला कोई नहीं है. रेणु के पुराने मित्र भी अब नहीं आते.
एक ऐसी औरत के लिए जिसने हिंदी साहित्य की अमर कृतियों के लेखन और प्रकाशन में इतनी बड़ी भूमिका निभायी, सरकार के पास नियमित रूप से देने के लिए 700 रुपये तक नहीं हैं. हाल ही में पटना फिल्म महोत्सव में तीसरी कसम दिखायी गयी. किसी ने लतिका जी को पूछा तक नहीं. शायद सब भूल चुके हैं उन्हें, वे सब जिन्होंने रेणु और उनके लेखन से अपना भविष्य बना लिया. एक लेखक और उसकी विरासत के लिए हमारे समाज में इतनी संवेदना भी नहीं बची है.
एक मुलाकात लतिका रेणु से
एक ठुमरीधर्मा जीवन का अंतर्मार्ग
रेयाज-उल-हक
राजेंद्रनगर के ब्लॉक नंबर दो में पटना इंप्रूवमेंट ट्रस्ट का एक पुराना मकान. दूसरी मंजिल पर हरे रंग का एक दरवाजा. जंग लगा एक पुराना नेम प्लेट लगा है- फणीश्वरनाथ रेणु .
एक झुर्रीदार चेहरेवाली औसत कद की एक बूढ़ी महिला दरवाजा खोलती हैं-लतिका रेणु. रेणु जी की पत्नी. मेरे साथ गये बांग्ला कवि विश्वजीत सेन को देख कर कुछ याद करने की कोशिश करती हैं. वे हमें अंदर ले जाती हैं.
कमरे में विधानचंद्र राय, नेहरू और रेणु जी की तसवीर. 1994 का एक पुराना कैलेंडर. किताबों और नटराज की प्रतिमा पर धूल जमी है. बाहर फोटो टंगे हैं-रेणु और उनके मित्रों के. घर में लगता है, रेणु का समय अब भी बचा हुआ है. एक ओर कटी सब्जी का कटोरा रखा हुआ है-शायद वे सब्जी काट रही थीं. बातें शुरू होती हैं. वे रेणु जी पर प्राय: बात नहीं करना चाहतीं. अगर मेरे साथ विश्वजीत दा नहीं होते तो उनसे बात कर पाना मुश्किल था. पुराना परिचय है उनका. काफी कुछ दिया है इस महिला ने रेणु को. प्रकारांतर से हिंदी साहित्य को. हजारीबाग के सेंट कोलंबस कॉलेज के एक प्रोफेसर की बेटी लतिका जी इंटर करने के बाद पटना आयी थीं-नर्सिंग की ट्रेनिंग के लिए. फिर पटना की ही होकर रह गयीं. पटना मेडिकल कॉलेज में ही भेंट हुई फणीश्वरनाथ रेणु से. उनके फेफड़ों में तकलीफ थी. नेपाल में राणाशाही के खिलाफ संघर्ष में शामिल थे रेणु. एक बार वे गिर गये और पुलिस ने उनकी पीठ को अपने बूटों से रौंद डाला था. तब से खराब हो गये फेफ ड़े. खून की उल्टी तभी से शुरू हुई.
लतिका जी उन दिनों को याद करते हुए कभी उदास होती हैं, कभी हंसती हैं, वैसी हंसी जैसी जुलूस की पवित्रा हंसती है. ट्रेनिंग खत्म होने के बाद पटना में ही गर्दनीबाग में चाइल्ड वेल्फेयर सेंटर में नियुक्ति हुई. छह माह बाद सब्जीबाग के सिफ्टन चाइल्ड वेल्फेयर सेंटर में आ गयीं. तब तक रेणु जी से उनकी शादी हो चुकी थी. रेणु जी ने उन्हें बताया नहीं कि उनकी एक पत्नी औराही हिंगना में भी हैं. शादी के काफी समय बाद जब वे पूर्णिया उनके घर गयीं तो पता चला. इस पर वे नाराज भी हुईं, पर मान गयीं.
इस रचना को देशबंधु पर भी पढें.
लतिका जी शादी से जुड़े इन प्रसंगों को याद नहीं करना चाहतीं. काफी कटु अनुभव हैं उनके. रेणु जी के पुत्र ने उनकी किताबों का उत्तराधिकार उनसे छीन लिया. वह यह फ्लैट भी ले लेना चाहता था, जिसमें अभी वे हैं और जिसे उन्होंने अपने पैसे से खरीदा था. रेणु जी ने इस फ्लैट के आधार पर 20000 रुपये कर्ज लिये थे बैंक से. बैंक ने कहा कि जो पैसे चुका देगा फ्लैट उसका. लतिका जी ने कैसे-कैसे वे पैसे चुकाये और फ्लैट हासिल किया.
वे भुला दी गयी हैं. अब उन किताबों पर उनका कोई अधिकार नहीं रहा, जिनकी रचना से लेकर प्रकाशन तक में उनका इतना योगदान रहा. मैला आंचल के पहले प्रकाशक ने प्रकाशन से हाथ खींच लिया, कहा कि पहले पूरा पैसा जमा करो. लतिका जी ने दो हजार दिये तब किताब छपी. नेपाल के बीपी कोइराला को किताब की पहली प्रति भेंट की गयी. उसका विमोचन सिफ्टन सेंटर में ही सुशीला कोइराला ने किया.
इसके बाद, जब उसे राजकमल प्रकाशन ने छापा तो उस पर देश भर में चर्चा होने लगी. लतिका जी बताती हैं कि रेणु दिन में कभी नहीं लिखते, घूमते रहते और गपशप करते. हमेशा रात में लिखते, मुसहरी लगा कर. इसी में उनका हेल्थ खराब हुआ. लिख लेते तो कहते-सारा काम छोड़ कर सुनो. बीच में टोकाटाकी मंजूर नहीं थी उन्हें. कितना भी काम हो वे नहीं मानते. अगर कह दिया कि अभी काम है तो गुस्सा जाते, कहते हम नहीं बोलेंगे जाओ. फिर उस दिन खाना भी नहीं खाते. जब तीसरी कसम फिल्म बन रही थी तो रेणु मुंबई गये. उनकी बीमारी का टेलीग्राम पाकर वे अकेली मुंबई गयीं. मगर रेणु ठीक थे. वहां उन्होंने फिल्म का प्रेस शो देखा. तीसरी कसम पूरी हुई. लतिका जी ने पटना के वीणा सिनेमा में रेणु जी के साथ फ़िल्म देखी. उसके बाद कभी नहीं देखी तीसरी कसम.
रेणु के निधन के बाद उनके परिवारवालों से नाता लगभग टूट ही गया. उनकी एक बेटी कभी आ जाती है मिलने. गांववाली पत्नी भी पटना आती हैं तो आ जाती हैं मिलने, पर लगाव कभी नहीं हुआ. नर्सिंग का काम छोड़ने के बाद कई स्कूलों में पढ़ाती रही हैं. अब घर पर खाली हैं. आय का कोई जरिया नहीं है. बिहार राष्ट्रभाषा परिषद 700 रुपये प्रतिमाह देता है, पर वह भी साल भर-छह महीने में कभी एक बार. पूछने पर कि इतने कम में कैसे काम चलता है, वे हंसने लगती हैं-चल ही जाता है.
अब वे कहीं आती-जाती नहीं हैं. किताबें पढ़ती रहती हैं, रेणु की भी. सबसे अधिक मैला आंचल पसंद है और उसका पात्र डॉ प्रशांत. अनेक देशी-विदेशी भाषाओं में अनुदित रेणु की किताबें हैं लतिका जी के पास. खाली समय में बैठ कर उनको सहेजती हैं, जिल्दें लगाती हैं. लतिका जी ने अपने जीवन के बेहतरीन साल रेणु को दिये. अब 80 पार की अपनी उम्र में वे न सिर्फ़ अकेली हैं, बल्कि लगभग शक्तिहीन भी. उनकी सुधि लेनेवाला कोई नहीं है. रेणु के पुराने मित्र भी अब नहीं आते.
एक ऐसी औरत के लिए जिसने हिंदी साहित्य की अमर कृतियों के लेखन और प्रकाशन में इतनी बड़ी भूमिका निभायी, सरकार के पास नियमित रूप से देने के लिए 700 रुपये तक नहीं हैं. हाल ही में पटना फिल्म महोत्सव में तीसरी कसम दिखायी गयी. किसी ने लतिका जी को पूछा तक नहीं. शायद सब भूल चुके हैं उन्हें, वे सब जिन्होंने रेणु और उनके लेखन से अपना भविष्य बना लिया. एक लेखक और उसकी विरासत के लिए हमारे समाज में इतनी संवेदना भी नहीं बची है.
गुनाहों का देवता : 40 की उम्र में 40 अभियोग
शहाबुद्दीन पर अब तक चले कुल मामले
क्र. थाना कांड संख्या, दिनांक धारा
१ सीवान नगर १३४/८५ ,११.५.८५ ३६४, ३६५, ३७९, ३४ आइपीसी (आरोपित)
२. सीवान नगर २१७/ ८५,०२.०९.८५ ३०७,३२३, ३४ आइपीसी, २७ आ एक्ट
३. सीवान नगर २२२/८५, ०९.०९.८५ ३०७, ३४१, ३२३, ३२४, ३४ आइपीसी, २७ आ एक्ट
४. सीवान नगर ०७९/८६, १०.०४.८६ ३९७, ४०२, ४११, ४१२, ४१४, २१६ ए आइपीसी, २५ ए, २६/३५ आ एक्ट
५. सीवान मु २२८/८६, ३१.१२.८६ १४७, १४८, ३२५, ३०२ आइपीसी, २७ आ एक्ट, ५ वि पदार्थ अधि
६. १२.०९.६६ ३०४, ३२४, ३२३, ३४ आइपीसी
७. सीवान नगर ०५७/८९, १९.०३.८९ ३०७, ३०२, ३४ आइपीसी, ३/४ वि पदार्थ अधि
८. सीवान मु ०९१/८९, ०१.०६.८९ ३५३, ३६४, ३०४, ३४ आइपीसी, २७आए
९. मैरवां १३४/८९, २२.११.८९ ३०२, ३४ आइपीसी, ३/४ वि पदार्थ अधि
१०. सीवान मु ०६१/९०,१२.०४.९० ३६३ आइपीसी
११. सीवान नगर २०५/९०, ०३.०९.९० ३६५, ३३७ आइपीसी
१२. सीवान नगर १२९/८५, ०६.०५.८५ ३२४, ३०७, ३४ आइपीसी, २७ आर्म्स एक्ट
१३. सीवान नगर ०७७/८६, ०८.०४.८६ ३०४ आइपीसी (संदिग्ध)
१४. सीवान नगर १८३/८८, १०.०९.८८ ३०७ आइपीसी, २७ आर्म्स एक्ट
१५. हुसैनगंज १८६/९३, ०३.१०.९३ १४७, १४८, १४९, ३३४, ३०७ आइपीसी, २७ आए(आरोपित)
१६. जीरादेई २३९/९३, २३.१२.९३ भाक पा (माले) के तीन समर्थकों की हत्या
१६.पंचरुखी ०६०/९४, २४.०५.९४ १४७, ३२३, ३२७, ३७९ आइपीसी
१७. सीवान नगर १०८/९४, २२.०५.९४ १४७, १४८, १४९, ३२४, ३०७, २७ आए
१८. सीवान नगर १५५/९४, ०७.०८.९४ ३०२, ३०७, ३२४, १२० (बी) आइपीसी
१९. पंचरुखी ००८/९५, २०.१०.९५
२०. सीवान नगर ०११/९६,१८.०१.९६ ३४, ३४२, ३२३, ३०७, ३४ आइपीसी, २७ आए (अनुसंधान में)
२१. हुसैनगंज ०९९/९६, ०२.०५.९६ १४७, १४८, १४९, ३२७, ३०७, ३०२ आइपीसी, २७ आ एक्ट (अनुसंधान में)
२२. आंदर थाना ०३२/९६, ०२.०५.९६ १४७, १४८, १४९, ३०२, ४८६,आइपीसी, आ एक्ट (अनुसंधान में)
२३. आंदर थाना ०३२/९६, ०२.०५.९६ १४७, १४८, १४९,३०७ आइपीसी(अनु में)
२४. दरौली थाना ०३४/९६, ०४.०५.९६ ३०७, ३५३, ३४ आइपीसी, २७ आए, एसपी सिंधाल पर जानलेवा हमला (अनु में)
२५. हुसैनगंज १८८/९६, ०३.०९.९६ ३०२ आइपीसी, माले नेता सुरेंद्र यादव की हत्या
२६. सीवान नगर १३०/९६, २१.०६.९६ थानाप्रभारी संदेश बैठा के साथ मारपीट
२७. सीवान नगर २२४/९६, १८.१०.९६ ३०२ आइपीसी, माले नेता केदार साह की हत्या
२८. सीवान नगर ०५४/९७, ३१.०३.९७ ३०२ आइपीसी चंद्रशेखर-श्यामनारायण यादव क ी हत्या
२९. सीवान मु १८१/९८, १९.०९.९८ १४७, ३२३, ३४१, ३४२, ४४८, ५०४ आइपीसी माले क ार्यालय सीवान पर हमला, केशव बैठा का अपहरण (दो साल कारावास)
३०. सीवान नगर १४५/९८, ०९.०९.९८ १४७, १४८, १४९, ३०७, ३७९, ५०४ आइपीसी, माले के धरना पर हमला
३१. सीवान नगर १४७/९८, ०९.०९.९८ १४७, १४८, १४९, ३०७, ३५३, ३३३, ३७९ आइपीसी
३२. सीवान नगर ०१४/९९, ०५.०२.९९ ३६४/३४ आइपीसी, माले कार्यक र्ता छोटेलाल का अपहरण-हत्या (आजीवन कारावास)
३३. सीवान मु ८/२००१, ०६.०१.०१ ३६९/३४ आइपीसी, रामपूर गांव से मुन्ना चौधरी का अपहरण
३४. हुसैनगंज ३२/२००१, १६.०५.०१ १४७,१४८, ३०७, ३०२, ३३४, ३३५, ३३२, ३३३, ४३५, ४२७, १२०, २५ (१) बी, ए २६/३५
३५. हुसैनगंज ३३/२००१, १६.०५.०१ १४७, १४८, ३०७, ३०२, ३३४, ३३५, ३३२,३३३, ३१५, ४३५, ४२७, १२०, २५ (१) बी, ए २६/३५
३६. हुसैनगंज ३९/२००५ प्रतापपुर कांड
३७. हुसैनगंज ४२/२००५ प्रतापपुर कांड
३८. हुसैनगंज ४३/२००५ प्रतापपुर कांड
३९. हुसैनगंज ४४/२००५ प्रतापपुर कांड
४०. हुसैनगंज ४५/२००५ प्रतापपुर कांड
४१. हुसैनगंज ४८/२००५ प्रतापपुर कांड
गुनाहों का देवता : 40 की उम्र में 40 अभियोग
शहाबुद्दीन पर अब तक चले कुल मामले
क्र. थाना कांड संख्या, दिनांक धारा
१ सीवान नगर १३४/८५ ,११.५.८५ ३६४, ३६५, ३७९, ३४ आइपीसी (आरोपित)
२. सीवान नगर २१७/ ८५,०२.०९.८५ ३०७,३२३, ३४ आइपीसी, २७ आ एक्ट
३. सीवान नगर २२२/८५, ०९.०९.८५ ३०७, ३४१, ३२३, ३२४, ३४ आइपीसी, २७ आ एक्ट
४. सीवान नगर ०७९/८६, १०.०४.८६ ३९७, ४०२, ४११, ४१२, ४१४, २१६ ए आइपीसी, २५ ए, २६/३५ आ एक्ट
५. सीवान मु २२८/८६, ३१.१२.८६ १४७, १४८, ३२५, ३०२ आइपीसी, २७ आ एक्ट, ५ वि पदार्थ अधि
६. १२.०९.६६ ३०४, ३२४, ३२३, ३४ आइपीसी
७. सीवान नगर ०५७/८९, १९.०३.८९ ३०७, ३०२, ३४ आइपीसी, ३/४ वि पदार्थ अधि
८. सीवान मु ०९१/८९, ०१.०६.८९ ३५३, ३६४, ३०४, ३४ आइपीसी, २७आए
९. मैरवां १३४/८९, २२.११.८९ ३०२, ३४ आइपीसी, ३/४ वि पदार्थ अधि
१०. सीवान मु ०६१/९०,१२.०४.९० ३६३ आइपीसी
११. सीवान नगर २०५/९०, ०३.०९.९० ३६५, ३३७ आइपीसी
१२. सीवान नगर १२९/८५, ०६.०५.८५ ३२४, ३०७, ३४ आइपीसी, २७ आर्म्स एक्ट
१३. सीवान नगर ०७७/८६, ०८.०४.८६ ३०४ आइपीसी (संदिग्ध)
१४. सीवान नगर १८३/८८, १०.०९.८८ ३०७ आइपीसी, २७ आर्म्स एक्ट
१५. हुसैनगंज १८६/९३, ०३.१०.९३ १४७, १४८, १४९, ३३४, ३०७ आइपीसी, २७ आए(आरोपित)
१६. जीरादेई २३९/९३, २३.१२.९३ भाक पा (माले) के तीन समर्थकों की हत्या
१६.पंचरुखी ०६०/९४, २४.०५.९४ १४७, ३२३, ३२७, ३७९ आइपीसी
१७. सीवान नगर १०८/९४, २२.०५.९४ १४७, १४८, १४९, ३२४, ३०७, २७ आए
१८. सीवान नगर १५५/९४, ०७.०८.९४ ३०२, ३०७, ३२४, १२० (बी) आइपीसी
१९. पंचरुखी ००८/९५, २०.१०.९५
२०. सीवान नगर ०११/९६,१८.०१.९६ ३४, ३४२, ३२३, ३०७, ३४ आइपीसी, २७ आए (अनुसंधान में)
२१. हुसैनगंज ०९९/९६, ०२.०५.९६ १४७, १४८, १४९, ३२७, ३०७, ३०२ आइपीसी, २७ आ एक्ट (अनुसंधान में)
२२. आंदर थाना ०३२/९६, ०२.०५.९६ १४७, १४८, १४९, ३०२, ४८६,आइपीसी, आ एक्ट (अनुसंधान में)
२३. आंदर थाना ०३२/९६, ०२.०५.९६ १४७, १४८, १४९,३०७ आइपीसी(अनु में)
२४. दरौली थाना ०३४/९६, ०४.०५.९६ ३०७, ३५३, ३४ आइपीसी, २७ आए, एसपी सिंधाल पर जानलेवा हमला (अनु में)
२५. हुसैनगंज १८८/९६, ०३.०९.९६ ३०२ आइपीसी, माले नेता सुरेंद्र यादव की हत्या
२६. सीवान नगर १३०/९६, २१.०६.९६ थानाप्रभारी संदेश बैठा के साथ मारपीट
२७. सीवान नगर २२४/९६, १८.१०.९६ ३०२ आइपीसी, माले नेता केदार साह की हत्या
२८. सीवान नगर ०५४/९७, ३१.०३.९७ ३०२ आइपीसी चंद्रशेखर-श्यामनारायण यादव क ी हत्या
२९. सीवान मु १८१/९८, १९.०९.९८ १४७, ३२३, ३४१, ३४२, ४४८, ५०४ आइपीसी माले क ार्यालय सीवान पर हमला, केशव बैठा का अपहरण (दो साल कारावास)
३०. सीवान नगर १४५/९८, ०९.०९.९८ १४७, १४८, १४९, ३०७, ३७९, ५०४ आइपीसी, माले के धरना पर हमला
३१. सीवान नगर १४७/९८, ०९.०९.९८ १४७, १४८, १४९, ३०७, ३५३, ३३३, ३७९ आइपीसी
३२. सीवान नगर ०१४/९९, ०५.०२.९९ ३६४/३४ आइपीसी, माले कार्यक र्ता छोटेलाल का अपहरण-हत्या (आजीवन कारावास)
३३. सीवान मु ८/२००१, ०६.०१.०१ ३६९/३४ आइपीसी, रामपूर गांव से मुन्ना चौधरी का अपहरण
३४. हुसैनगंज ३२/२००१, १६.०५.०१ १४७,१४८, ३०७, ३०२, ३३४, ३३५, ३३२, ३३३, ४३५, ४२७, १२०, २५ (१) बी, ए २६/३५
३५. हुसैनगंज ३३/२००१, १६.०५.०१ १४७, १४८, ३०७, ३०२, ३३४, ३३५, ३३२,३३३, ३१५, ४३५, ४२७, १२०, २५ (१) बी, ए २६/३५
३६. हुसैनगंज ३९/२००५ प्रतापपुर कांड
३७. हुसैनगंज ४२/२००५ प्रतापपुर कांड
३८. हुसैनगंज ४३/२००५ प्रतापपुर कांड
३९. हुसैनगंज ४४/२००५ प्रतापपुर कांड
४०. हुसैनगंज ४५/२००५ प्रतापपुर कांड
४१. हुसैनगंज ४८/२००५ प्रतापपुर कांड
क्या आप इसे पहचानते हैं
यह सिंगुर गांव की तापसी मलिक है. इसने अपनी ज़मीन टाटा को देने से मना कर दिया. इस युवती के साथ एक रात इसकी ज़मीन पर ही सीपीएम के लोगों ने बलात्कार किया और ज़िंदा जला दिया. आप सोचें कि आप इसके लिए क्या कर सकते थे. आप नंदीग्राम के लोगों के लिए क्या कर सकते हैं?
क्या आप इसे पहचानते हैं
यह सिंगुर गांव की तापसी मलिक है. इसने अपनी ज़मीन टाटा को देने से मना कर दिया. इस युवती के साथ एक रात इसकी ज़मीन पर ही सीपीएम के लोगों ने बलात्कार किया और ज़िंदा जला दिया. आप सोचें कि आप इसके लिए क्या कर सकते थे. आप नंदीग्राम के लोगों के लिए क्या कर सकते हैं?
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